“महाकुंभ में बह गई मनुस्मृति.
एकता का महापर्व है महाकुंभ..“
बीते दिवस भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा, उत्तर प्रदेश के संकल्पित युवा नेता शुभम कौशिक जी ने बताया कि कुंभ महोत्सव जाति-भेद एवं अस्पृश्यता का पूर्णतः निषेध है. तमाम जातियों के 50 करोड़ लोगों का एकसमान तीर्थजल में स्नान, एक पंक्तिबद्ध अन्नसेवन, एकसंग मार्गगमन, सहयात्रित्व की अनुभूति स्पर्श की शुद्धि-अशुद्धि की कोई चिंता नहीं.
महाकुंभः विराट हिंदुत्वस्य महापर्वम् अस्ति.
अतः इसके विफल होने की कामना प्रत्येक विधर्मी करता है. परंतु यह महोत्सव सदा सफल ही रहता है.
मानव समाज का सबसे बड़ा कर्मकांड मुक्त ब्रह्मांडीय चेतना का प्रतीक कुंभ भारत की सभ्यता की उदात्तता,प्रखरता,स्व स्फूर्त और स्वचालित संस्कृति एवं सनातन इतिहास का जीवंत उदाहरण हैं.
बता दे कि महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आयोजित होता है. इसे हिंदू धर्म में पवित्रता और मोक्ष का पर्व माना जाता है.
यह समय मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण है. उन्होंने कहा कि आज की सुबह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत सुबह रही. मैंने संगम में पवित्र डुबकी लगाई जो अपने आप में एक अलौकिक अनुभव था. उन्होंने कहा कि तीर्थराज प्रयागराज व त्रिवेणी संगम की दिव्यता कुछ ऐसी है कि यहां आकर वापस जाने का मन ही नहीं करता.
गौरतलब है कि यह पर्व देवताओं द्वारा अमृत कलश की रक्षा के लिए किए गए समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है. पवित्र नदियों में अमृत की बूंदें गिरने के कारण इन नदियों का महत्व बढ़ गया.ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार, इस समय गंगा और अन्य नदियों का जल अमृत तुल्य हो जाता है.