"गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना आत्मा नहीं..ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म सब गुरु की ही देन है..!!"
समस्त गुरुजनों व सम्मानित वरिष्ठ जनों को गुरु पूर्णिमा के पवित्र दिवस पर सादर नमन, चरण वंदन और सभी बंधुओं को इस पवित्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे व्यास पूर्णिमा के तौर पर भी जाना जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार महर्षि वेद व्यास, जिन्होंने पौराणिक महाकाव्यों जैसे महाभारत, श्रीमदभागवत, मीमांसा, ब्रह्मसूत्र इत्यादि की रचना की थी, वह ऋषि पराशर के पुत्र थे और उनका जन्म आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। व्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि भी दी जाती है क्योंकि उन्होंने ही पहले बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए आज के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
हमारे देश में गुरु पूजन के संस्कार युगों प्राचीन हैं, भारतीय सभ्यता में गुरुओं का विशेष महत्व रहा है। परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग भी गुरु के बताए मार्ग पर चलने से ही संभव होता है। किसी भी मनुष्य के जीवन में गुरु ही होते हैं, जो उन्हें गलत मार्ग पर जाने से रोकते हैं और सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देकर उसके जीवन को सर्वश्रेष्ठ पथ की ओर ले जाते हैं। हम सभी को अपने गुरुजनों और आदरणीय वरिष्ठ जनों का आदर-सम्मान सदैव करना चाहिए क्योंकि यह सम्मानित जन ही अपने जीवन के अनुभवों से हमें भविष्य को बेहतर करने की सीख देते हैं।